खरगोश और कछुआ बहुत अच्छे दोस्त थे | वे एक एक को बहुत समझता था | वह सुबह से शाम तक जंगल में घूमता रहता था | जंगल के सारी जानवरों को इसके दोस्ती पर लालच आता था | जब कछुए को किसी मदद की ज़रूरत हो थो खरगोश मदद करता है और जब खरगोश को मदद की ज़रूरत हो तोह कछुआ भी करता है |
एक दिन जब वह दोनों जंगल में घूमता था तब एक आवाज़ सुना | "बचाओ , मुझे बचाओ | कोई मेरी मदद करो |" दोनों आवाज़ सुने दिशे पर गया | देखा तोह चींटी पानी में डूबता दिखाई दिया | कछुआ खरगोश से एक पत्ता तोड़ने को कहा और वह लेकर कछुए ने चींटी को बचाया | चींटी ने ख़ुशी से दोनों से कहा "आप दोनों से मैं शुक्रगुजार हूँ | आप लोग नहीं आये तोह मैं आज मर जाता था |आप को कभी भी मेरी ज़रूरत पड़ी तोह मैं ज़रूर आऊंगी |"चींटी और दोस्तों ख़ुशी से चल गया |
जंगल में एक लोमड़ी था जो खरगोश पर नज़र डाला था | एक दिन जब खरगोश अकेले चल रहा था तब खरगोश उसके सामने आये | उसने कहा " मैं तुम पर नज़र डालकर कई दिन होगए | मैं तुम्हे अकेले मिलने का मौका देखता था और आज वह दिन आया |" खरगोश डरने लगा | कछुआ यह देखकर आया |
उसने जल्द ही जल्द चींटी को खबर दिया | चींटी और दोस्तों आये | उसने आकर लोमड़ी को ज़ोर से काट दिया | लोमड़ी ने दर्द से चिल्लाया और वहां से भाग गया और कभी भी खरगोश को पकड़ने की कोशिश नहीं किया | खरगोश और कछुआ चींटी को शुक्रिया कहकर वहाँ से चला गया |
- नीना पी.के.
IX A
I DONT FORGET MY SCHOOL LIFE. I ENJOYED LOT THERE VERY PROUD 2 SAY IAM THE OLD STUDENT OF LSN
ReplyDeletethe awesome days of my lyf....i still remember the classes of sathyakumari teacher and jayamma teacher....those whom i luvd the most.....luv u all................
ReplyDeletedeepa